भारतीय सेना पर विवादित बयान देकर मानहानि का केस झेल रहे राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने पाठ पढ़ाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी सच्चा भारतीय सेना पर इस तरह की टिप्पणी नहीं कर सकता है. दो हजार किमी तक भारतीय जमीन पर चीन के कब्जे को लेकर भी सु्प्रीम कोर्ट ने कई सवाल दागे. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि किस दस्तावेज के आधार पर आप ऐसा कह सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर राहुल गांधी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर मीडिया द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में ये बयान दिया है.
मानहानि केस से बचने के लिए राहुल गांधी भले ही सुप्रीम कोर्ट में अपने बयान का ठीकरा मीडिया पर फोड़ रहे हैं लेकिन जब बयान दिया था, तब इस मुद्दे पर सवाल नहीं पूछने पर मीडिया पर बहुत तंज कसा था. जिस बयान को लेकर केस चल रहा है, वह बयान राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 22 अगस्त, 2022 को दिया था. गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई हिंसक झड़प जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने एक रैली में दावा किया था कि 'लोग भारत जोड़ो यात्रा के बारे में क्या-क्या पूछेंगे, लेकिन चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है. चीनी सैनिकों ने हमारे सैनिकों की पिटाई की. इस पर एक भी सवाल नहीं पूछेंगे?' तब लद्दाख के उपराज्यपाल (LG) रि. ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा और फिर लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बयान देकर राहुल गांधी के दावे को भ्रामक, निराधार और तथ्यहीन बताया था.
बयानों को लेकर राहुल गांधी का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत गंदा है. और यह कोई पहली बार नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लताड़ लगाई है. अंग्रेजों के इतिहास में दर्ज सैनिक विद्रोह 1857 को वीर दामोदर ने पहली बार इसे स्वतंत्रता संग्राम की पहली लड़ाई कहा. उस वीर सावरकर को माफी वीर कहने के मामले में भी राहुल गांधी कोर्ट से जमानत पर हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में नारा दिया कि मैं देश का चौकीदार हूं तो इसी नारे को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि देश का चौकीदार चोर है. ये मामला भी निचली अदालत से उच्च न्यायालय और फिर उच्चतम न्यायालय तक मामला पहुंचा. राहुल गांधी ने इस बयान पर कोर्ट में बिना शर्त माफी लेकर अपनी जान छुड़ाई. तब कोर्ट ने भविष्य में सोच समझकर बोलने की चेतावनी दी थी.
वर्ष 2019 के एक चुनावी रैली में राहुल गांधी ने बोला कि "आखिर सभी चोरों का उपनाम मोदी क्यों है?" इस मामले में तो राहुल गांधी लोकसभा की सांसदी चली गई थी. 'महात्मा गांधी का हत्यारा आरएसएस है', इस बयान को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के बयान पर एक ऑब्जर्वेशन दिय़ा था कि आप सामूहिक रूप से निंदा नहीं कर सकते, इस बयान पर भी केस राहुल गांधी पर चल रहा है. 'अमित शाह हत्या का आरोपी' जैसे बयानों पर मानहानि का केस राहुल गांधी पर चल रहा है.
नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद, संसदीय परंपरा के तहत पद की गरिमा बनाए रखने के बजाय राहुल गांधी और भी बचकानी और देश विरोधी बयान देने में लगे हैं. इन्होंने अमेरिका में जाकर कहा कि भारत में सिख समाज को गुरुद्वारों में पगड़ी पहनने की इजाजत नहीं है, उन्हें उनके पंथ के अनुरूप व्यवहार करने से रोका जा रहा है. राहुल गांधी का ये बयान न केवल बेबुनियाद और सच्चाई से कोसों दूर है बल्कि यह देश की अखंडता और एकता के लिए बहुत खतरनाक है.
राहुल गांधी को क्या लगता है कि ऐसे उटपटांग बयान देने से उनकी छवि बेहतर हो रही है? देश में उनके प्रति एक माहौल बन रहा है? राहुल गांधी को समझना होगा किृ सत्ता पर बैठे लोगों को उनके दायित्वों के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रखने के लिए एक मजबूत और परिपक्व विपक्ष का होना जरूरी है. ये बात आखिर राहुल गांधी को कब समझ में आएगी? बयानों के जरिए उड़ता तीर लेने का पर्याय बन रहे हैं राहुल गांधी. राहुल गांधी आखिर कब अपने बयानों से परिपक्व और गंभीर नजर आएंगे?